Monday 24 June 2019

मानव संस्कृति का इतिहास


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मनुष्य के पैर उसे खड़ा होने, चलने और दौड़ने की योग्यता देते हैं । ठीक उसी तरह उसका मस्तिष्क उसे सोचने, समझने और रचना करने की योग्यता देता है । मानव मस्तिष्क की इस योग्यता को बुद्धि कहा जाता है । पृथ्वी पर रहने वाले अन्य सभी प्राणियों की तुलना में मनुष्य की बुद्धि विलक्षण है । मानव-बुद्धि की इस विलक्षणता के कारण, जीवन की उत्पत्ति के जानकारों ने, मनुष्य का नाम बुद्धिमान मानव ( Homo sapiens )  रखा है । अपने रचनात्मक गुणों की मदद से, मनुष्य ने अनेक कहानियों की रचना की है, असंख्य आविष्कार किये हैं और असीमित रहस्यों को बेनकाब किया है । अपने आस-पास की चीजों को समझने की कोशिश में, उसने हमेशा से ही पृथ्वी और उसके बाहर, चांद-तारों को भी जानना और समझना चाहा है । चांद-तारों के बारे में तरह-तरह की कहानियाँ बनायी और सुनायी भी। ये दुनिया किसने बनायी? इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए उसने ईश्वर, परमशक्ति, जादू-टोने और विज्ञान का सहारा लिया है । ब्रह्माण्ड विज्ञान की तार्किक मान्यताओं  के अनुसार BIGBANG ऐसी घटना है, जिसने अब तक अवलोकित ब्रह्माण्ड को जन्म दिया । यह घटना लगभग साढ़े-तेरह अरब साल (पृथ्वी के 365 दिन का एक साल के हिसाब से)  से भी पहले हुई थी । इस घटना से पहले ऊर्जा, समय और अन्तरिक्ष भी नहीं थे। विद्यार्थी, स्कूल-कालेजों में, भौतिक विज्ञान पढ़ते हैं । भौतिक शास्त्र की मूल विषय-वस्तु ऊर्जा, समय, अंतरिक्ष और पदार्थ ही है। BIGBANG के 3 लाख साल बाद, पदार्थ और ऊर्जा, एक दूसरे में गुंथने शुरू हो गये । इनके आपस में गुंथ जाने से परमाणु बने । परमाणुओं से अणु बने। अणुओं और परमाणुओं के बीच के आपसी व्यवहार से, अनेक छोटे-बड़े पिण्ड बनने लगे। हमारी  पृथ्वी भी, आज से करीब साढ़े-चार अरब साल पहले, अणुओं और परमाणुओं के बीच आपसी व्यवहार से बनी । 3.8 अरब साल पहले इसी पृथ्वी पर अनुकूल दशाओं में, जीवनयुक्त संरचनायें बननी शुरू हो गयी । तब से अरबों वर्ष की अवधि में, पृथ्वी पर लाखों प्रकार के जीव उत्पन्न हुए हैं और नष्ट भी हुए हैं । मनुष्यों से सर्वाधिक मिलते-जुलते जीव चिंपैजी हैं । वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अध्ययनों से पता चला है कि 60 लाख वर्ष पहले मानव और चिंपैजी का एक ही पूर्वज था । आज से लगभग 70 हजार साल पहले बुद्धिमान मानवों ने अधिक विस्तृत और सुसंपन्न संरचनाओं का निर्माण करना शुरू कर दिया । मानव-निर्मित ये संरचनायें ही, उसकी संस्कृति होती हैं और उसकी संस्कृति से बनने वाला  मानव के विकास का क्रम ही मानव का इतिहास है ।